Members
Adarsh Sharma
LOVE........?
हँसती हो तुम उजाले की तरह
चाँदनी सी तुम शर्माती हो
ओस की एक बूंद की तरह
मुझ फूल की बाँहों में तुम आती हो
छेड़ती हो मुझे अपनी ठंडक से
कँपकंपी मेरी बढ़ाती हो
और फिर एक दम से
तुम मुझसे लिपट जाती हो
हँसती हो तुम उजाले की तरह
चाँदनी सी तुम शर्माती हो
ओस की एक बूंद की तरह
मुझ फूल की बाँहों में तुम आती हो
छेड़ती हो मुझे अपनी ठंडक से
कँपकंपी मेरी बढ़ाती हो
और फिर एक दम से
तुम मुझसे लिपट जाती हो